Wednesday, July 14, 2010

अस्मत ...

वो फटे दुप्पटे से
वो फटे दुप्पटे से
अपनी छाती छिपाए
कभी पूरी कभी आधी छिपाए
इधर उधर भागे
भूखे कुत्ते से सब उसको ताके
कोई चेहरे पे मारे हाथ
कोई करता उसके स्तनों पे वार
बिखरे बाल
बिगड़ा हाल
चार टूटी चूड़िया
सिन्दूर की बेतरतीब लकीरें
हाथों से वो आँखों के आंसू पोंछे
भूखे भेड़िये उसे पल पल नोचे
हर आहट पे वो अब भी घबराये
जो भी आँचल पाए छिप जाए
फटे दुप्पटे से ही वो खुद को ढाके
फिर भी अब तक उसकी रूह काँपे

चेहरे पे नाखून
चेहरे पे नाखून
उससे बहता खून
उसकी कहानी बतलाये
कौन है वो
कौन है वो
क्यों वो लजाये

8 comments:

  1. I am stumped!
    How beautifully you put your thoughts into words...
    Brilliant work....

    Sir aise hi dhaansu poem likhte rahiye...

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  2. mast imaginative writing

    pura picture saamne aa jata hai

    and sharm se aati hai that all this still exists... a wonderful write up...

    thnx for the xperience
    rahul

    ReplyDelete
  3. mast imaginative writing

    pura picture saamne aa jata hai

    and sharm se aati hai that all this still exists... a wonderful write up...

    thnx for the xperience
    rahul

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  4. mast imaginative writing

    pura picture saamne aa jata hai

    and sharm se aati hai that all this still exists... a wonderful write up...

    thnx for the xperience
    rahul

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  5. ऐसी कवितायें रोज रोज पढने को नहीं मिलती...इतनी भावपूर्ण कवितायें लिखने के लिए आप को बधाई...शब्द शब्द दिल में उतर गयी.

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