जब अव्वाज़ देती
सिसकती सृष्टि
उसे आवाज़ देती
तू कौन है
तू कौन है
न जाने कितने तुझसे
फूटपाथ पर मौन है
बताया भूख ने
मैं कौन हूँ..
निगलती हूँ
जलाती हूँ
तभी तो
बिलखती भूख कहलाती हूँ
तपिश हूँ
अगन हूँ
धरा मैं
गगन हूँ
फटी तो निगल लूं
अगन वो जलन दूं
जलन- प्रज्वलन हूँ
मिटाती हूँ
रुलाती हूँ
तभी तो
बिलखती भूख कहलाती हूँ
बिलखती भूख कहलाती हूँ ...
awesme
ReplyDelete