
रात का मुसाफिर मैं
पर पथ मैं भटक
गया हूँ
ढूंढ रहा हूँ ख़ुद
का साया
कहीं खो सा गया हूँ
प्रातः
नभ को मैं ठहरा सा पाता
फ़िर स्वयं को दूधिया रौशनी के बीच पाता
पर फ़िर घनियो रात में
कोहरे के बीच
रात का मुसाफिर मैं
पथ भटक जाता.....
रात का मुसाफिर मैं
पथ भटक जाता ....
nice one :)
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