एक पुरानी
मिटटी की हंडिया
क्या है इसमें
??
कुछ सपने कुछ आशाएं
दबे रह गए...
कुछ शब्द कुछ बातें
अनकहे रह गए.....
कुछ धन कुछ गीत
अनसुने रह गए....
कुछ कसमे कुछ वादे
अधूरे रह गए...
कुछ कहना था
कुछ सुनना था
कुछ पूरा उनको
करना था
एक पुरानी
मिटटी की हंडिया
क्या है इसमें
मेरे पिता
की अश्थियाँ ॥
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ReplyDeleteit's ausum
ReplyDeletebahut gehra matlab liye hai
thanks
ReplyDeletethis is good.....i liked it....nice work!!
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने... पिता के साथ चले जाते हैं, कुछ सपने, कुछ आकांक्षायें और बहुत सारा प्यार...!
ReplyDeletedhanyavaad mukti ji... :)
ReplyDeletedil ko choone wali kavita hai
ReplyDeleteimagery is brilliant....but i think matki would be better than haandi...
ReplyDeleteits fantabulous! very touching. ap ko to sach me poems likhni ati hain. wow!
ReplyDelete@anonymous aap naam to bata dete ..thanks
ReplyDelete@deepanshi thanks
@aman sir thanks sir
very touching....gud wrk..
ReplyDelete@ saumya thanks..
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