Friday, December 25, 2009

मिटटी की हंडिया

एक पुरानी
मिटटी की हंडिया
क्या है इसमें
??
कुछ सपने कुछ आशाएं
दबे रह गए...
कुछ शब्द कुछ बातें
अनकहे रह गए.....
कुछ धन कुछ गीत
अनसुने रह गए....
कुछ कसमे कुछ वादे
अधूरे रह गए...
कुछ कहना था
कुछ सुनना था
कुछ पूरा उनको
करना था
एक पुरानी
मिटटी की हंडिया
क्या है इसमें
मेरे पिता
की अश्थियाँ ॥

12 comments:

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  2. it's ausum
    bahut gehra matlab liye hai

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  3. this is good.....i liked it....nice work!!

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  4. बहुत अच्छा लिखा है आपने... पिता के साथ चले जाते हैं, कुछ सपने, कुछ आकांक्षायें और बहुत सारा प्यार...!

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  5. imagery is brilliant....but i think matki would be better than haandi...

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  6. its fantabulous! very touching. ap ko to sach me poems likhni ati hain. wow!

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  7. @anonymous aap naam to bata dete ..thanks
    @deepanshi thanks
    @aman sir thanks sir

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