माँ दरवाज़े खड़ी रही
बेटा अब तक क्यूँ न आया
और सांझ हो गयी ....
राखी है ये बात जोहती
भाई मैंने यूँ जो गंवाया
और साँझ हो गयी ....
सुबह की तो पौ थी फूटी
मैंने अपनी आँख जो मूंदी
और साँझ हो गयी ....
अकेला गुमसुम बैठा हूँ मैं
तू कहाँ खो गयी
और सांझ हो गयी...
रात के सन्नाटे को सुनते
सुबह यूँ ही हो गयी
और सांझ हो गयी
और साझ हो गयी
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ati sundar!!! good work...
ReplyDeletethanks
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