तनहा
जब रोता ...
हर पल
तुमको खोता
सच है
याद बहुत तंग करती है
क्यूँ
हर हसी में तुम हो...
क्यूँ
हर आंसू में तुम हो ...
क्यूँ
हर ख़ामोशी में तुम हो...
क्यूँ
हर आहट में तुम हो ...
क्यूँ
गम हो फिर भी तुम हो ....
क्यूँ
फिर परछाई में तुम हो...
क्यूँ
इस तन्हाई में तुम हो ...
क्यूँ
हर पल की गहराई में तुम हो...
क्यूँ
तुम न हो कर भी
मेरी
तुम हो...
मेरी
तुम हो ॥
dhanyavaad
ReplyDeletesweet and romantic as always....but i still think u can do better....
ReplyDeletea sweet verse....
ReplyDeletegood poem.....
ReplyDeletei wud love to read it again and again.....
समर्पण के पश्चात की स्थिति । प्रशंसनीय ।
ReplyDeleteये स्टाइल अच्छा है.. बहुत बढ़िया लिखा
ReplyDelete@thanks all ..
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