बहुत दिन हुए तुम्हे लिखे
सो सोचा की आज लिखू
कैसी हो प्रिये ??
सोचा दो बातें तुमसे ही कर लू
जो अधूरी रह गयी थी
सब कुछ अपना
जो तुम्हारा ही है
कलम से बान्ध कर
श्याही में डुबो के
पन्नो में लिख
इस ख़त में तुम्हे भेज रहा हूँ
संभाल के रखना
मेरा ये पत्र
आज तुम्हे में लिख रहा हूँ
उन नदियों की कल कल
जो तेरे जाने पे बहती नहीं
तेरे जाने पे गाती न चिडिया है
न नैया चलती है
पवन जो सुरमई गीत सुनाती थी
आज मौन नज़र वो आती है
तुम्हे लिखने से पहले क्यूँ काँप उठता हूँ मैं
पवन के झोंको में
जैसे मनो कोई सूखा टूटा पत्ता
गर्म लू के थपेड़ो में उढ़ता
तुमको पता है
रोज़ जब तुम्हे लिखने को बैठता हूँ
कलम उठता और
तेरा मुस्काता चेहरा सामने आ जाता
फिर तेरा मुझे वो रिझाना याद आता है
क्या तुम्हे नहीं आती ये सब यादें ???
समझो मेरी ह्रदय वेदना
तुम कहाँ हो प्रिये ...
बताओ तो सही
ये सांझ तुम्हारे जाने पे मुझसे रूठी क्यू है
क्यूँ है ये चन्द्रमा पानी में हिलता
चुप है अब
जब तुम रहती थी बातें करता था मुझसे
उस दूर सूखती तेरी चुनरी को देखता मैं
फिर आती तेरी याद
ध्योधी पर बैठ
जब शाम को ढलते देखता
तो दो आंसू सहसा आँख के कोने से रिस जाते
फिर आती हो तुम याद
तुमसे कहा था मैंने की
इन यादों को भी ले जाओ उस बस्ते में
जिस में मेरी सारी दुनिया
मेरी खुशियाँ जो की तुम हो
ले जा रही हो
अपने संग
सारे रंग
क्यूँ तुम आज जा रही हो
फिर उस बसंती बयार के संग
आया तेरा ख़त
मिटटी की सौंधी महक संग
आ रही हो तुम भी
मन मेरा आल्हादित हो
लिखने को बोला
सो लिखा ये पत्र तुम्हे
यूँ ही ट्रेन की खिड़की पर
यूँ ही बैठे बैठे
आ रहा हूँ तुमको मैं लेने
........................................ तुम्हारा अनन्य ...............................................................
acchi hai bhai......
ReplyDeleteacchi hai bt still i prefer the last one.. as rhyming in that one is Vgud and really i enjoyed reading tht.....
ReplyDeleteanonymous ji ... thanks
ReplyDeletegood one again!!!
ReplyDeletewow..kya likha hai nagar ! gud going
ReplyDeletethanks saumya
ReplyDeletethanks a ton angel (anu) its been very very long since u commented ...
i'm bored of reading the same rhymes rang, sang, mitti ki saundhi mehak, toota patta etc etc...something new yaar!!!
ReplyDeleteexcellent.....as gd as ever!!
ReplyDeletebt such a fine wrk must have a source of inspiration.... :)
:) thanks a ton vanshika hmm ... source of inspiration ... not exactly ..
ReplyDeleteकुछ तो है इस कविता में, जो मन को छू गयी।
ReplyDeletepanktiya kahi le jati hai sir...
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