Thursday, August 4, 2011

कभी यूँ भी आ....

कभी यूँ भी आ मेरी आँख में
की मेरी नज़र को खबर न हो ...
कभी यूँ भी आ मेरे ख्वाब में
की मेरे ज़हन को खबर न हो...
कभी यूँ भी आ मेरी रात में
की मेरे सहर को खबर न हो ...
कभी यूँ भी आ मेरे साथ में
की मेरे शहर को खबर न हो ...
कभी यूँ भी आ मेरे दिल में तू
की मेरी धड़कन को खबर न हो....
कभी यूँ भी आ मेरे पास तू
की मेरे अक्स को खबर न हो ....
कभी इस कदर आ बाहों में
की मेरी रूह को खबर न हो...
कभी आ ही जा मेरी चाह में
की मेरे इल्म को खबर न हो ....
कभी यूँ भी आ....
कभी यूँ भी आ....
कभी यूँ भी आ....

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