Wednesday, September 30, 2009
हाँ मैं कवि नहीं हूँ
मैं कवि नही हूँ….
हाँ मैं कवि नही हूँ…
पर न जाने क्यों ये कवितायेँ साथ रहती हैं…
कलम के ज़रिये मेरी ही कहानी कहती है…
टूटे दिल को बस अहसास की चाहत है…
दिल के दर्द को बस शब्दों की ही राहत है…
पर न जाने क्यों ये शब्द भी कम लगते हैं…
न जाने क्यों ये विचार कभी कभी निशब्द से लगते हैं…
हाँ मैं कवि नही हूँ पर ये शब्द आप ही पिर जाते हैं…
कविताओं की दुनिया में अपने आप ही घिर जाते हैं…
हर एक कविता मेरी मुझसे कुछ कहती है…
दिल के छिपे दर्द में ये कविता ही रहती है…
मैं आज भी खामोश साँसों को सुन लेता हूँ…
ये कविता ही है जो मुझे ऐसी शिरकत देती है…
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