बहुत दिन हुए
रात मैं सोया नही.....
बहुत दिन हुए
क्यों मैं रोया नही.....
बहुत दिन हुए
मुझे कलम उठाये....
बहुत दिन हुए
कोई गीत गुन गुनाए....
बहुत दिन हुए
कोई साज़ छेदे.....
बहुत दिन हुए
मन बहलाए......
बहुत दिन हुए
खिलौनों से खेले....
बहुत दिन हुए
घूमे हुए मेले.....
बहुत दिन हुए
सहज मुस्कुराये...
बहुत दिन हुए
फूलो को देखे ....
बहुत दिन हुए
बारिश में भीगे...
बहुत दिन हुए
मिटटी के घर बनाये......
बहुत दिन हुए
कागज़ की कश्ती चलाये...
बहुत दिन हुए
गमले से मिटटी खाए....
बहुत दिन हुए
झुनझुना बजाये....
हाँ
बहुत दिन हुए
बहुत दिन हुए
बहुत दिन हुए......
this is something straight from heart...gud wrk
ReplyDeleteसरल सुंदर सहज ।
ReplyDelete@asha ji thankyou u r like an inspiration
ReplyDelete@saumya thanks dear