इक दिन अचानक
रात्रि के अंतिम प्रहर को
जब स्वयं ने प्रत्यक्ष देखा
स्वप्न मेरे स्वप्न रह गए
क्यूंकि सोया नहीं था मैं
किरण फूटी ...
लाल व्योम , नभ था नारंगी फिर
चिडियों ने फिर राग नया छेड़ा
की अब
आकाश नीला प्रतीत हुआ
रवि का राज फिर सम्पन्न हुआ
उषा ने फिर बाँधी सेज
स्वप्न मेरे जग उठे सब
अब चाँद को
चिडियों ने लोरी गा के सुला दिया
देखो सुबह हो ही गयी
अब चाँद को
ReplyDeleteचिडियों ने लोरी गा के सुला दिया
देखो सुबह हो ही गयी ...very nice!!!
thankyou all
ReplyDeletejandar,shandar,damdar.narayan narayan
ReplyDeleteSUNDAR SHABD-CHITRA ! blog-jagat me swagat hai piyawar !
ReplyDeleteanand v. ojha
बहुत ही सुन्दर प्रकृति चित्रण । स्वागत है ।
ReplyDeleteगुलमोहर का फूल
sabhi gurujano ka mera sadar pranam aur aapki shubhkamnao ke liye dhanya vaad aage bhi raah dikhate rahe
ReplyDeleteapna ashirwad banaye rahe
ReplyDeleteur getting better n better with each piece!!
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