Tuesday, October 6, 2009

प्रातः ....















इक
दिन अचानक
रात्रि के अंतिम प्रहर को
जब स्वयं ने प्रत्यक्ष देखा
स्वप्न मेरे स्वप्न रह गए
क्यूंकि सोया नहीं था मैं
किरण फूटी ...
लाल व्योम , नभ था नारंगी फिर
चिडियों ने फिर राग नया छेड़ा
की अब
आकाश नीला प्रतीत हुआ
रवि का राज फिर सम्पन्न हुआ
उषा ने फिर बाँधी सेज
स्वप्न मेरे जग उठे सब
अब चाँद को
चिडियों ने लोरी गा के सुला दिया
देखो सुबह हो ही गयी

8 comments:

  1. अब चाँद को
    चिडियों ने लोरी गा के सुला दिया
    देखो सुबह हो ही गयी ...very nice!!!

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  2. SUNDAR SHABD-CHITRA ! blog-jagat me swagat hai piyawar !
    anand v. ojha

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रकृति चित्रण । स्वागत है ।

    गुलमोहर का फूल

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  4. sabhi gurujano ka mera sadar pranam aur aapki shubhkamnao ke liye dhanya vaad aage bhi raah dikhate rahe

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  5. ur getting better n better with each piece!!

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