Thursday, November 5, 2009

मैं देखता क्या हूँ .... २

आँख बंद हुई
ओझल प्रकाश
क्यों धूमिल आकाश
फ़िर शंखनाद
फ़िर तिमिर नाद
चमका इकतारा
लगता क्यों प्यारा
प्रत्यक्ष सत्य
या अप्रत्यक्ष अब तक
मैं देखता क्या हूँ....

5 comments:

  1. ITS AN ABSTRACT POEM HARD FOR ANY BODY

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  2. kch hum jaise logo k lie bhi likh dia karo!!

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  3. thanks saumya... keep reading
    @anonymous sab aap logo ke lie hi hai ...

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