आज मैंने जब
पुरानी किताबें छांटी
तेरी एक तस्वीर निकली
बस म्मानो मेरी तकदीर बदली
तेरे ख्यालों में खो सा गया
कुछ हँसा और कुछ रो सा गया
आँखों के सामने तेरे साथ बीता हर पल आ गया
मानो हर कल आज और कल आ गया
नैनो में तेरी तस्वीर और दिल में करार आ गया
बस सोचने लगा की अब तू कैसी होगी
क्या तेरी हसी बिलकुल वैसी होगी
जिसे देख के मैं सारे घूम भूल जाता था
तेरी बातें सुन कर हर गुलिस्तान में फुल खिल जाता था
मेरे दिल इ नादान को कौन समझाए
की तसवीरें बोलती नहीं है
बस उस तस्वीर से ही इज़हारे मोहब्बत कर के खुश हूं
क्यूंकि कम से कम मुझे
ये तो यकीं है
की यह तो न नहीं कहेगी
.....
u r ultimate poet!
ReplyDeletekeep it up & burn the whole world with the fire of Ur imagination
क्यूंकि कम से कम मुझे
ReplyDeleteये तो यकीं है
की यह तो न नहीं कहेगी
कविता सुंदर है .
Last line took my heart away...
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