Tuesday, November 3, 2009

खामोशी .... कितना कुछ कहती है

खामोश तुम भी हो
और
मैं भी आज चुप हूं
शायद ये साँसे कुछ कह सके
शायद ये आँखें कुछ कह सके
आज मैंने इनको मौका दिया है
की जाओ तुम ही कुछ कह लो
आज तक मैं तो कह न पाया
बस
यु ही आँखों में आँखे डाले
हम बैठे रहे
और
खामोशी को गुनगुनाने
दिया
प्यार का नया अफसाना
बस
आज हम चुप ही रहे......

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