मैं तुझसे प्यार करूँ 
हाँ सच ही कहूँ 
आँख अपनी जो भरूँ
तो फिर हैं आंसू में भी तू
बंद आँखें करूँ 
ओ फिर ख्वाबों में भी तू
मैं गर खामोश भी रहूँ 
तो फिर आती है बातों में तू 
यादें धुंधली पड़ती हैं 
सब भुला मैं पर यादों में तू
शाम ढलती जाती है
सुबह में तू और रातों में तू ....
मैं तुझसे प्यार करूँ 
हाँ सच ही कहूँ ....
 
 
hmmmm...wht to say..
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