कल रात लेटा हुआ था बहुत तेज़ दर्द था पीठ में और दिल में भी / ऐसे ही पड़े पड़े पास में पड़ी फिराक की किताब उठाई और गंगा घाट की और निकल गया एक कलम अपनी पुरानी डायरी ले के / बहुत दिन हो गये थे कुछ नया अच्छा लिखा नहीं था / सोचा कुछ पढने के बाद कुछ प्रेरणा मिलेगी / पर वहां जा के भी कुछ परछाईयों ने मेरा पीछा नहीं छोड़ा / मेरे ज़हन में न जाने कौन था बस बार बार वाही आ जाती थी बैठे बैठे लगा क्यों न अब कहानियों की ओर रुख किया जाए बहुत दिन हो चुके थे कवितायेँ लिखते लिखते वैसे भी नाटक की वजह से साहित्य प्रेम तो पहले से ही था परन्तु आज तक गद्य में कभी कोशिश नहीं की /फिराक की एक पंक्ति पढ़ते ही पुनः लिखने की इच्छा हुई "बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं , तुझे ऐ ज़िन्दगी हम दूर से पहचान लेते हैं"/ ढाई बजे गंगा घाट से लौटा आनंद आ रहा था पर दर्द अब असहनीय था /कई मर्तबा लोग कहते हैं की मैं पागल हूँ पर शायद वो मुझे अच्छे से जानते नहीं / कुछ ये भी कहते हैं की मैं बहुत सोचता हूँ / समय ने सोचने पे मजबूर जो कर दिया है गलती प्रायः कहीं भी मेरी नहीं है / शायद अभी मैं स्वयं ही खुद को समझ नहीं पाया हूँ तो दुसरे कैसे समझेंगे बस जितना मेरे साथ रह के मुझे जान पाते हैं बस उतना ही समझ पाते हैं / कई बार मन होता है कि दूर चला जाऊं पर हर बार कोई न कोई रोक लेटा है / इंजीनियरिंग के इन दो सालों में बहुत कुछ खोया था मैंने जिसे अब समेटने कि कोशिश कर रहा था पर सच ही कहा था किसी ने कि ये दुनिया हर एक को एक ही मौका देती है / मैं अपनी पुरानी गलतियां सुधर तो सकता नहीं बस यही कोशिश कर सकता हूँ हकी पुनः उन्हें न दोहरौं / इन दिनों कुछ ऐसे लोगों के संपर्क में भी आया जो अन्दर से कुछ और और बहार से कुछ और हैं / क्षमा मांगता हूँ यहाँ पे मैं उन जैसा कभी बन ही नहीं पाया और न बनना चाहता हूँ / दोस्त कभी भी ज्यादा नहीं रहे पर अब आलम ये था जो बचे कुचे भी थे वो भी धीरे धीरे कम होते जा रहे थे / हाँ अब तो ये भी लगने लगा था शायद मैं ही गलत हूँ / पर फिर यही लगता कि नहीं / "कहानी मेरी खुद की" इससे अच्छा विषय समझ में नहीं आया लिखने को फिर क्या था कलम पकड़ा और फिर लिखता गया पन्ने दर पन्ने सब कुछ तो था मेरी ज़िन्दगी में बस यही विषय चुना और किताब के कुछ पन्ने भर डाले फिराक को पढने के बाद /
"फिराक अक्सर बदलकर भेस मिलता है कोई काफ़िर
कभी हम जान लेते हैं , कभी पहचान लेते हैं "
Chiragon ko mahfooj rakhna aankhon me,
ReplyDeletebadi door tak ye raat andheri hogi......
thanks sir... aap kaun hai
ReplyDeletepaas rahna kisi ka raat ki raat
ReplyDeletemehmaani bhi mezbaani bhi,
haai kya cheez hai jawaani bhi....(Firaq)
cheers
devraj