Sunday, March 28, 2010
तुम ...
वो तुम थी
या मेरी कल्पना
जो भी थी
सुन्दर थी ..
गीले बाल
थोड़े चेहरे पर
मानो तुझ को छिपाते
कुछ कंधे पर गुन्चित हो जाते
धीरे धीरे पानी रिसता
झुरमुट के पीछे मानो
कोई छिपता
तेरी मुस्कान
रौशनी से ज्यादा रोशन करती
आँगन के गीले फर्श पर
मानो चाँद की चांदनी
अठकेलियाँ करती
अमावस की रात में झिलमिलाते
सारे तारे
कितने प्यारे
हिरनी सी चाल
मानो नटराज की मूरत
डगमग चलते तेरे पग
फिर करते डग मग डग मग
फिर तू इठलाती बलखाती
चलती जाती
मुझे मेरे सपनो में अकेला
कर जाती
वो तुम थी
या मेरी कल्पना
सच
बड़ी सुन्दर थी
बड़ी सुन्दर थी
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सुंदर शब्दों के साथ.... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
ReplyDeletedhanya vaad
ReplyDeletenice!!!
ReplyDeletejuzz luv dis 1... truly describes a girl's beauty....
ReplyDeletegr8 work!!
तेरी मुस्कान
ReplyDeleteरौशनी से ज्यादा रोशन करती
आँगन के गीले फर्श पर
मानो चाँद की चांदनी
अठकेलियाँ करती....
loved dese lines esp....
overall gr8 piece...
@sneha thanks
ReplyDelete@saumya thankyou so much ... u r a real critic ..