Tuesday, July 20, 2010

सपना मेरा ...

बड़े जतन से पाला था उसको

संजोया भी

छिपाया भी

पर आखिर टूट गया

सपना मेरा

पिंजरे में बंद

छटपटाता

कुछ कहता था मुझसे रोज़

बातें करता था

मुझसे

पर आखिर छूट गया

सपना मेरा

देखूंगी स्वप्न सतरंगी

सोचा था

पर सब ने

पल पल

उसको नोचा था

आखिर हिम्मत हार गया

सपना मेरा

हार गया

और हारी में ....

4 comments:

  1. कुछ सपनो की किस्मत मे सिर्फ़ टूटन ही लिखी होती है……………दर्द महसूस हो रहा है।

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  2. सपने अक्सर टूट जाते हैं ... उनके लिया क्या रोना ....

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  3. cheers to all the dreamers... only those who dream can realize it some day.... sapna dekhna bhi sabke bas ki baat nahi...

    again a great write-up... and one thing that even beautifies it more... has been done by giving important words separate lines in recitation... that deepens the impact..

    way to go sir,
    thnx for the experience,
    rahul

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  4. sapne kab hote h apne...shayad dusro k nonchne k bajaye hamare karan jyada sapne tootte h.......
    but a lovely poem....hats off.

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