Wednesday, January 20, 2010

जी भर के

आज जी भर के कर ली तुझसे बात
न जाने कल हो न हो मुलाकात

नींद आँखों में है
और तेरी आवाज़ कानो में
दो बात क्या की
कि आंसू पी गया मैं
दर यही है
कि सब कि तरह
तू भी न छोड़ दे मेरा साथ
आज जी भर के कर ली तुझसे बात
न जाने कल हो न हो मुलाकात


सफ़र-ऐ-ज़िन्दगी में मोड़ बहुत है
राहगीर और रहगुज़र बहुत हैं
हर एक मोड़ के नुक्कड़ पे बिकते जज़्बात
आज जी भर के कर ली तुझसे बात
न जाने कल हो न हो मुलाकात


अभी अभी तुने थामा था मेरा हाथ
कि फिर से गहराई ये रात
मैंने आँखे चुपचाप मूंद ली
और चला गया
अब न करूँगा तुझको तंग
न होगी कोई बात
न कोई मुलाकात

आज जी भर के कर ली तुझसे बात
न जाने कल हो न हो मुलाकात


आज जी भर के कर ली तुझसे बात
न जाने कल हो न हो मुलाकात

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